Wednesday, June 22, 2011

ये कैसा सवाल ..


ये कैसा सवाल ..
क्या भेजू तुम्हे ... 

भेज दो इक ख़त.. खुशहाली का 
इक मयूरपंख ... किताब में रखा हुआ 
इक मोती... कही मन में छुपाया हुआ 

भेजना वो धुन.. जो बह आयेगी पवन पर और तुम्हारी याद लायेगी
देना वो इक लहर .. जो समुंदर की अथांग आवाज जैसे झंकारती रहेगी..

भेज देना वो सुरिली खनक जो आसमान से गुजर कर वीणा के तारो पर लहरेगी 
अन भेज देना वो कविता... जो तुम्हारे और मेरे शब्दोसे बनी होगी 

भेज दो तुम्हारी सास .. जिसकी महक अब भी मेरे आसपास रहती है 
भेज दो तुम्हारा एहसास.. जो अंधेरे पल मे मेरा साथ देता है 

भेजना वो सारे पल.. जो एकसाथ बिताये .. 
और वो भी.. जो तुम्हारी राह देखने में गुजरे ...

भेजना तुम्हारा पूरा अस्तित्व.. जो मेरे जीने की आस है 
और भेजना मेरी भी जिंदगी.. जो तुम्हारे ही पास है ...

सुनो न...
भेज दो बस इक मीठे ख्वाब सा "हां"...
सारा जीवन तैर लेगा उसपर 
इक जिंदगी का हि तो सवाल 
कूछ सांसो का ही तो अंतर...


और ...
अगर इन में से कुछ भी नही तुम्हारे पास 
तो भेजना इक सीधासाधा सा "ना"
बिना किसी हिचकीचाहट के ... 
सोचूँगी मैं.. कैसे पूरा करे इस कहानी का अधूरापन 

पर तुम्ही ने कहा था न.... कोई कहानी अधूरी नही होती.. !!

- भक्ती आजगावकर  



1 comment:

  1. This poem I guess is addressed to the hero of your life...very colorful options before him to express his affection for you!!!

    ReplyDelete